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इक्कीसवीं सदी का भारत ( India in 21st Century in hindi)
वर्तमान में हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं. जिस प्रकार उन्नीसवीं सदी को ब्रिटेन का समय कहा जाता हैं, बीसवीं सदी को अमेरिकन सदी कहते हैं, उसी प्रकार इक्कीसवीं सदी भारत की हैं. IBM इंस्टिट्यूट फॉर बिज़नेस वेल्यु की रिपोर्ट ‘ इन्डियन सेंचुरी ’ के अनुसार : भारत एक तेजी से बदलने वाली अर्थव्यवस्था हैं. आने वाले वर्षों में भारत को सबसे अधिक उन्नति करने वाले देशों में शामिल किया गया हैं.
क्रमांक समय / काल देशों की स्थिति
1. उन्नीसवीं सदि ब्रिटेन का स्वर्ण – काल
2. बीसवीं सदि अमेरिका का विश्व पर बढ़ता प्रभाव
3. इक्कीसवीं सदि इन्डियन सेंचुरी अर्थात भारत का समुचित विकास और इसके विकासशील देश से विकसित देशों की गिनती में आने वाला समय
स्वतंत्रता के पश्चात् हमारे देश ने विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति की हैं, जैसे : सामाजिक अर्थव्यवस्था में प्रगति, वैज्ञानिक आविष्कार, सांस्कृतिक रूप में समृद्धि, शिक्षा के क्षेत्र में विकास, खेती के उन्नत तरीके, तकनीकी और विज्ञान का समुचित विकास, चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान, आदि कई क्षेत्र हैं, जिनमें अब हम आगे बढ़ चुके हैं.
इक्कीसवीं सदी के भारत के बारे में जानने के लिए हम इसका अध्यनन निम्न बिन्दुओं में करेंगे (India in 21st Century in hindi):
आर्थिक क्षेत्र में : आज हमारा देश आर्थिक रूप से पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सक्षम हैं. हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्रियों के अनुसार भारत की विकास दर [ Growth Rate ] लगभग 7% हैं, जो इसे सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश बनाती हैं और इसी वजह से वर्ष 2024 तक इसे चाइना से भी आगे ले जाएगी. अगर आज भी देखा जाये, तो भारत का स्थान दूसरा ही हैं अर्थात् अर्थव्यवस्था के मामले में हम चाइना के बाद विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति हैं.
हमारे देश की मोदी सरकार और उने वित्तीय मंत्री मण्डल ने अभी हाल ही में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश [ FDI पॉलिसी ] को पूर्ण रूप से अपनी मंजूरी प्रदान की हैं, जिससे अब कई बाहरी कम्पनियाँ भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करने में नहीं हिचकिचाएंगी और जिसका लाभ देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा.
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में : प्राचीन काल से ही हम चिकित्सा के क्षेत्र में अव्वल रहे हैं, परन्तु उपकरणों के अभाव में हम पिछड़ गये थे, परन्तु आज स्थिति कुछ और हैं. हमारे देश में सभी बीमारियों का इलाज उपलब्ध हैं, साथ ही उनकी जांच के लिए भी सभी मशीनों की व्यवस्था देश में उपलब्ध कराई गयी हैं.
स्वतंत्रता के बाद प्रारंभ की गयी प्रथम पंचवर्षीय योजना की तुलना में, आज हमारे चिकित्सकों और अस्पतालों में पलंगों की संख्या बढ़कर पहले की तुलना में क्रमशः लगभग 2 गुनी से 6 गुनी हो चुकी हैं. मलेरिया, टी.बी., हैजा [ Cholera ] जैसी बीमारियों से लोग पहले की अपेक्षा कम पीड़ित होते हैं. वही जानलेवा बीमारियों, जैसे : प्लेग, छोटी माता [ Small Pox ], आदि से होने वाली मृत्यु दर में भी कमी आई हैं. देश में व्याप्त पोलियो जैसी बीमारी को लगभग हम पूर्णतः ख़त्म कर चुके हैं. देश में औसत आयु बढ़ी हैं और बिमारियों से होने वाली मृत्यु दर में भी कमी आई हैं.
नेशनल हेल्थ पालिसी के अनुसार हम “ सभी के लिए स्वास्थ्य ” [ Health For All ] के लक्ष्य को भी जल्दी ही प्राप्त कर लेंगे. चिकित्सा विज्ञान में उन्नति करने के साथ ही हम देश में बीमारियों के प्रति जानकारी फ़ैलाने और उससे बचाव के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में भी सफल रहे हैं.
तकनीकी क्षेत्र में : तकनीकी के मामले में भी हम पहले की अपेक्षा कही अधिक आगे बढ़ चुके हैं. कई मशीने, यंत्र, आदि का अब हमे आयात नहीं करना पड़ता, बल्कि हम स्वयं ही उसका उत्पादन कर रहे हैं. बड़े – बड़े कारखानों में उत्पादन, मशीनों की सहायता से माल बनाना, संगणक से कार्य करना [Computerization ], आदि ने इस प्रक्रिया को अधिक सरल बना दिया हैं.
Computerization : आज हमारे देश का प्रत्येक विभाग कम्प्यूटर पर कार्य करता हैं, किसी भी जानकारी को आप इसके माध्यम से आदान – प्रदान कर सकते हैं. साथ ही सभी सूचनाये भी इसी पर उपलब्ध हो जाती हैं. इसके अंतर्गत ‘ ई – कॉमर्स ’ भी शामिल हैं. जिसके द्वारा हम घर बैठे – बैठे अपना सामान कम्प्यूटर पर खरीद सकते हैं और बेच भी सकते हैं. ये ई – कॉमर्स कम्पनियाँ स्थानीय बाजारों से प्रतियोगिता करती हैं, पर वही दूसरी ओर ये कई लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं.
ऑटो – मोबाइल क्षेत्र में : इस क्षेत्र में हम अब तक वांछित उन्नति नहीं कर पाए हैं, जैसे : हमारा देश आज भी कारों के निर्माण के लिए विदेशी तकनीक पर ही निर्भर हैं. हम केवल इसके कुछ भाग ही बनाते हैं. परन्तु प्रयास जारी हैं और जल्द ही हम इस क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त कर लेंगे.
कृषि उत्पादन के क्षेत्र में : आज हमारे देश में कृषि करते समय आने वाली बाढ़, सूखे आदि समस्याओं से निपटने के लिए पर्याप्त साधन और तकनीकी उपलब्ध हैं, जिसके चलते आज 21वी सदी के भारत देश का उत्पादन कई गुना बढ़ गया हैं. आज हम हमारे देश की खाद्य – पदार्थों की जरूरतों को तो पूरा कर ही सकते हैं, बल्कि दूसरे देशो की जरूरतों के मुताबिक निर्यात करने में भी सक्षम हैं. इस स्थिति को पाने में देश में चलाई गयी ‘ हरित क्रांति ’ का बहुत बड़ा योगदान हैं. फसलों के ख़राब होने, सड़ने जैसी समस्याओं पर हमने नियंत्रण पा लिया हैं और दूसरी ओर उन्नत बीजों, खाद, सिचाईं के पर्याप्त और उन्नत तरीके, संग्रहण क्षमता, आदि ने इसके विकास में बहुत महत्व – पूर्ण भूमिका निभाई हैं.
रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में : हमारे देश में 3 प्रकार की फौजें हैं : थल सेना, जल सेना और वायु सेना. तीनों को सम्मिलित किया जाये तो हम विश्व की प्रथम 7 शक्तियों में स्थान रखते हैं. साथ ही तीनो ही सेनाओं के रक्षा उपकरण भी हमारे पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. हाल ही में सबसे कम वजन का लड़ाकू विमान बनाने में भी हमने सफलता प्राप्त की हैं. इस विमान का नाम ‘ तेजस ’ हैं और इसके लगभग सभी कल – पुर्जे, मशीने, आदि भारत में बनाई गई हैं. यह हमारी रक्षा के क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि हैं.
निजी क्षेत्रों को रक्षा क्षेत्र में सम्मिलित करने से इसके तीव्र गति से विकास की सम्भावनाये व्यक्त की जा रही हैं. इसमें अम्बानी बंधू, टाटा जैसी कंपनियों को शामिल किया गया हैं, परन्तु अभी इनके प्रोजेक्ट सरकार के पास अनुमति हेतु अटके हुए हैं.
शिक्षा के क्षेत्र में : हमारे देश में शिक्षा का स्तर भी सुधरा हैं. परन्तु अभी तक हम केवल प्राथमिक शिक्षा को ही मुफ्त उपलब्ध करा पाए हैं, जो काफी नहीं हैं. आज हमारे देश में विद्यार्थी सभी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. यहाँ पर्याप्त मात्रा में शालाए, महाविद्यालय, आदि खोले गये हैं. साथ ही हमारे यहाँ बाहर के विद्यार्थी भी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. हमारे देश में प्रौढ़ शिक्षा अभियान, सर्व शिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रम चलाकर देश में शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए सराहनीय कदम उठाए गये हैं. देश के सम्पूर्ण विकास के लिए लड़कों के साथ – साथ लड़कियों की शिक्षा के लिए भी समुचित प्रयास जारी हैं. बल्कि आज देश में कल्पना चावला [ प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री ], इंदिरा गाँधी [प्रथम महिला प्रधानमंत्री] , प्रतिभा देवी सिंह पाटिल [प्रथम महिला राष्ट्रपति] , चंदा कोच्चर [ICICI बैंक की वर्तमान CEO एवं D.], आदि जैसी महिलाये तो पुरुषों से भी आगे निकल चुकी हैं.
इक्कीसवीं सदी का भारत जहाँ इन क्षेत्रों में उन्नति प्राप्त कर रहा हैं, वही कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जिनकी तरक्की अभी बाकी हैं, जिनकी परिस्थितियों में सुधार की आवश्यकता शेष हैं, उनमे से कुछ क्षेत्र अग्र – लिखित हैं -:
बेरोजगारी : आज हमारे देश को युवा – शक्ति के मामले में विश्व का सबसे समृध्द राष्ट्र माना जाता हैं, परन्तु रोजगार के अभाव में यह शक्ति व्यर्थ हो रही हैं और इसी कारण हमारे देश की कई प्रतिभाये विदेशों में स्वयं को साबित करके रोजगार प्राप्त कर रही हैं, जिसमे देश का ही नुकसान हैं. देश के युवा दिशा – हीन होकर अपराध के मार्ग पर बढ़ रहे हैं. हमारे देश में हमे रोजगार के अनेक अवसरों की आवश्यकता हैं. यदि हम बेरोजगारी की समस्या से छुटकारा पा ले तो कई समस्याए स्वयं ही समाप्त हो जाएगी.
गरीबी : हमारे देश में दुर्भाग्य की बात यह हैं कि अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होता जा रहा हैं. इस कारण देश पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पा रहा और अभी तक विकासशील देशों की गिनती में गिना जाता हैं. इसका कारण कही न कही स्विस बैंकों में रखा काला धन भी हैं, यदि इसे देश में लाये जाने के प्रयास सफल हो, तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती हैं.
जनसंख्या : हमारे देश की जनसंख्या बहुत ही तेज गति से बढ़ रही हैं, जिसके कारण हम लागू योजनाओं का उचित प्रकार से लाभ नहीं उठा पाते और सरकार भी इन्हें व्यापक रूप में सफल नही बना पाती. हम भारतीय आज 125 करोड़ से भी अधिक हैं. जिसमें सभी सुविधाओं को बांटना, सरकार के लिए भी मुश्किल हैं. इस पर नियंत्रण पाना अत्यंत आवश्यक हैं अन्यथा हमारी समस्याओं की सीमा दिन – प्रतिदिन बढ़ती ही जाएगी.
इन सब के बावजूद हमे ‘ सुपर – पावर ’ कहा जाता हैं, इसका कारण हैं : आज दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति सभी क्षेत्रों में अन्य देशों की तुलना में सबसे मजबूत हैं, चाहे वह क्षेत्र आर्थिक हो, राजनीतिक क्षेत्र हो, सैन्य बल की बात हो, सांस्कृतिक क्षेत्र की बात हो अथवा जन – सांख्यिकी [ Demographic ] की. दक्षिण एशिया की जनसंख्या का लगभग 77% हिस्सा हमारे देश का हैं, इसकी जी.डी.पी. में हमारा योगदान 75% हैं, 77% भू – भाग हमारे क्षेत्रफल का हिस्सा हैं, इसके रक्षा बजट का 80% हिस्सा हमारा होता हैं और इसके सैन्य बल में 82% हमारा सैन्य बल शामिल हैं और सबसे महत्व – पूर्ण बात –: हम विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था में से एक हैं., जिसकी वर्तमान जी.डी.पी. दर 9.2% हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्व- पूर्ण स्थान रखती हैं. साथ ही हमारे देश के अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राष्ट्रों के साथ समझौते और संधियाँ भी हैं, जो इसे इक्कीसवीं सदी का सुपर पावर बनाने में और विकास की ओर अग्रसर होने में मदद करती हैं. इस प्रकार इक्कीसवीं सदी के भारत का भविष्य बहुत ही स्वर्णिम हैं
I loved reading this post! The idea of practicing self-compassion is something that has been on my mind a lot lately, and your tips for doing so are really helpful. You also visit our service page: "Color Correction Services"
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